ईद मुबारक कहना
🔴आज का सवाल नंबर. १०५३🔴
आज कल लोग ईद के मवका पर ईद मुबारक कहते है इस का क्या हुक्म है इस का कोई शरीअत में सुबूत है ?
🔵जवाब🔵
लफ़्ज़े ईद मुबारक को सुन्नत और ज़रूरी समझे बगैर इन अलफ़ाज़ से मुबारक बादी देने में कोई हरज नहीं.
मुस्तहब ये है के निचे के लफ़्ज़ों से मुबारकबादी दी जाये.
हज़रात वसीलाह रदियल्लाहु अन्हु फरमाते है के मेने नबी ए करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से ईद के दिन मुलाक़ात की है और मेने कहा
*तकबल्लाहु मिन्ना व मिन्क*
*अल्लाह हमारे और तुम्हारे नेक अमल क़बूल फरमाएं.*
नबी सलल्लाहु अलैहि वसललम ने इरशाद फ़रमाया हाँ ज़रूर *तकबल्लाह मिन्ना व मिन्क*
(सुनने बैहक़ी लील कुबरा हदीस नंबर ६०८८) अल्लामह अल्बानी रहमतुल्लाहि अलैहि ने इस हदीस की ताईद की है.
और साहिबे हील्याह ने और मुहक़ीक़ इब्ने अमीरुल हाज ने सहीह सनदों के साथ बहोत से आसारे सहाबा नक़ल किये है और मुबारक के मवके पर बरकत की दुआ देना भी साबित है इस से ईद मुबारक कहना जाइज़ है
📚(मुहक़्क़क़ व मुदल्लल जदीद मसाइल (मुफ़्ती जाफर साहब रहमानी की) सफा १०१ बा हवाला
📘रद्दुल मुहतर आला दुर्रिल मुख़्तार
३/४७ किताबुस सलात)
📕 खैरुल फतावा ३/१२४
📗फतावा हक़्क़ानियाह २/७०
📘किताबूद दुआ लित्तबरानी
واللہ اعلم
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया
📲 Download App - Goo.gl/mg4455
आज कल लोग ईद के मवका पर ईद मुबारक कहते है इस का क्या हुक्म है इस का कोई शरीअत में सुबूत है ?
🔵जवाब🔵
लफ़्ज़े ईद मुबारक को सुन्नत और ज़रूरी समझे बगैर इन अलफ़ाज़ से मुबारक बादी देने में कोई हरज नहीं.
मुस्तहब ये है के निचे के लफ़्ज़ों से मुबारकबादी दी जाये.
हज़रात वसीलाह रदियल्लाहु अन्हु फरमाते है के मेने नबी ए करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से ईद के दिन मुलाक़ात की है और मेने कहा
*तकबल्लाहु मिन्ना व मिन्क*
*अल्लाह हमारे और तुम्हारे नेक अमल क़बूल फरमाएं.*
नबी सलल्लाहु अलैहि वसललम ने इरशाद फ़रमाया हाँ ज़रूर *तकबल्लाह मिन्ना व मिन्क*
(सुनने बैहक़ी लील कुबरा हदीस नंबर ६०८८) अल्लामह अल्बानी रहमतुल्लाहि अलैहि ने इस हदीस की ताईद की है.
और साहिबे हील्याह ने और मुहक़ीक़ इब्ने अमीरुल हाज ने सहीह सनदों के साथ बहोत से आसारे सहाबा नक़ल किये है और मुबारक के मवके पर बरकत की दुआ देना भी साबित है इस से ईद मुबारक कहना जाइज़ है
📚(मुहक़्क़क़ व मुदल्लल जदीद मसाइल (मुफ़्ती जाफर साहब रहमानी की) सफा १०१ बा हवाला
📘रद्दुल मुहतर आला दुर्रिल मुख़्तार
३/४७ किताबुस सलात)
📕 खैरुल फतावा ३/१२४
📗फतावा हक़्क़ानियाह २/७०
📘किताबूद दुआ लित्तबरानी
واللہ اعلم
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