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Showing posts from May, 2017

रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ें

⭕आज का सवाल नंबर १०२७⭕ रोज़ा किन चीज़ों से फ़ासिद हो जाता है? 🔵जवाब🔵 *(बाक़ी कल के मेसेज से आगे)* १२- मुश्टजानि-हाथ से मनि निकालना १३- अमाह के मरीज़ का इनहेलर -पंप इस्तेमाल करना. १४- मुंह में पान-गुटखा दबा कर सो जाना यहाँ तक के सुबह सादिक़ हो जाये. १५- नकसीर फूटे और नाक का खून हलक़ में चला जाये. १६- दांत-मसूड़ों का खून अगर इतना ज़्यादा हो के वह थूक पर ग़ालिब आ जाये यानि थूक को लाल कर दे या थूक के बराबर-सरबर हो जाये और वह थूक पेट में चला जाये, अगर थूक में खून काम हो यानि खून का मज़ा हलक़ में मालूम ना हो तो रोज़ा फ़ासिद न होगा १७- इनामा लेना यानि पेट की सफाई के लिए पीछे के रास्ते दवाई चढ़ाना १८- मर्द की पेशाब की नाली में कोई दवाई डाली जाये और वह मसाने तक पहुंच जाये. अगर मसाने तक ना पहुंचे तो रोज़ा फ़ासिद नहीं होगा १९- औरत का अपनी शर्मगाह में कोई दवाई डालना २०- औरत की शर्मगाह में डॉक्टरनी का चेकउप के लिए भीगा हुवा या दवाई वाला हाथ या मशीन डालना, अगर हाथ या मशीन पर दवा ना हो

रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ें

⭕आज का सवाल नंबर.१०२६⭕ रोज़ा किन चीज़ों से फ़ासिद हो जाता है? 🔵जवाब🔵 वो चीज़े जिनसे रोज़ा फ़ासिद हो जाता है वह निचे लिखा गया हैं १- कान और नाक में दवा डालना. २- क़सदन (जान बूझकर) मुँह भरकर के-वोमिट करना या मुँह भरकर आने के बाद कुछ हिस्सा क़सदन-जानबूझकर लोटा लेना. ३- कुल्ली करते हुवे हलक़ में पानी का चला जाना,( उस वक़्त रोज़ा भी याद हो ) ४- औरत को छूने और बोसा लेने से इंज़ाल हो जाना -मनि निकल जाना. ५- लोबान या अगरबत्ती का धुंवा क़सदन नाक या हलक़ में पहुँचाना ६- बीड़ी, सिगरेट, हुक़्क़ाह पीना ७- भूलकर खा पि लिया और ख्याल किया के इससे रोज़ा टूट गया होगा, फिर क़सदन खा,पी लिया ८- रात समझकर सुबह सादिक़ के बाद सहरी खा लेना, ९- दिन बाक़ी था मगर गलती से ये समझा के आफताब ग़ुरूब हो गया हे, इफ्तार कर लिया -किसी तक्वीम या एप्प में देखकर वक़्त होते ही इफ्तार कर लिया बाद में पता चला घडी आगे थी और सूरज ग़ुरूब होने में २ मिनट बाकी थी.(अक़ाबरीन के मामूल के खिलाफ इस से बिलकुल टाइम पर इ

रोज़े की क़ज़ा और कफ़्फ़ाराह का उसूल

⭕आज का सवाल नंबर १०२५⭕ रोज़ा तोड़ने की वजह से क़ज़ा और कफ़्फ़ाराह कब वाजिब होता है और कब नहीं? इस का क्या उसूल है? 🔵 आज का जवाब🔵 حامدا و مصلیا و مسلما वह सूरतें जिन से कफ़्फ़ाराह और क़ज़ा दोनों वाजिब है वो ये है, १. रमजान के अदा रोज़े में बिला उज़्र जानबूझकर ऐसी चीज़ खाना जो ग़िज़ा-खाने के तौर पर या दवाई के तौर पर ही खायी जाती हो या कामिल लज़्ज़त के तौर पर हो इस्तिमाल होती हो खा पी लेना या इस्तिमाल करना. इस से मालूम हुआ के कच्चा खाना खाने से,बीड़ी पिने से,लगाने की दवा निगल जाने से, हाथ से मणि निकालने से (ऐसे पर अल्लाह की लानत है),बव से सिर्फ चिमटने या बोसा लेने से इंज़ाल हो गया तो कफ़्फ़ाराह नहीं. इन चीज़ों ग़िज़ाइयत, दवाईयत, कामिल नफा कामिल लज़्ज़त नहीं. २. जानबूझ कर सोहबत करना. ३.आंख में दवा लगाई या उलटी हुई फिर ये समझकर के रोज़ा टूट गया हालांकि इन दोनों से रोज़ा नहीं टूटा था फिर भी जानबूझ कर खा पी लिया. *वह शक्लें जिन में क़ज़ा है कफ़्फ़ाराह नहीं है वो ये ह

चार रकत पर पढ़ने की दुआ की हक़ीक़त.

*चार रकत पर पढ़ने की दुआ की हक़ीक़त* ⭕आज का सवाल नंबर १०२४ ⭕ तरावीह की चार ४ रकात के बाद जो दुआ पढ़ी जाती है वह हदीस से साबित है? 🔵 आज का जवाब🔵 حامدا و مصلیا و مسلما तरावीह की हर ४ रकात के बाद जो दुआ पढ़ी जाती है उसके अल्फ़ाज़ मुख्तलिफ अहादीस से साबित हैं उसमे बाज़ हदीस की सनद बहोत ही कमज़ोर है. पूरी दुआ किसी एक हदीस में नहीं आयी है. और उसको तरविहा(तरावीह की चार रकात) के बाद पढ़ना किसी भी हदीस से साबित होना बहोत मुश्किल है. यह दुआ अल्लामाह इब्ने आबेदीन अपनी किताब शामी में नक़ल की है जिसकी वजह से मुख्तलिफ किताबों और हमारे इलाक़ों में राइज हो गयी तरविहा में हनफ़िया के नज़दीक ३ इख़्तियार है उस वक़्त तस्बीह पढ़े, या हम्द करे, या खामोश रह कर अगली रकात का इन्तिज़ार करे. 📗 मूहिते बुरहानी २/१८१ 📕जवहरून नय्याराह सफा ३८५ 📘मर्गूबुल फतवा ३/४२९ में उलमा ऐ देवबंद का ये मौक़फ़ लिखा है के उस वक्त ज़िक्र करना मुस्तहब है लेकिन बहोत से इलाक़ों में इस में गुलु होने लगा है. मुस्तहब के साथ वाजि

चार रकत पर पढ़ने की दुआ की हक़ीक़त.

*चार रकत पर पढ़ने की दुआ की हक़ीक़त* ⭕आज का सवाल नंबर १०२४ ⭕ तरावीह की चार ४ रकात के बाद जो दुआ पढ़ी जाती है वह हदीस से साबित है? 🔵 आज का जवाब🔵 حامدا و مصلیا و مسلما तरावीह की हर ४ रकात के बाद जो दुआ पढ़ी जाती है उसके अल्फ़ाज़ मुख्तलिफ अहादीस से साबित हैं उसमे बाज़ हदीस की सनद बहोत ही कमज़ोर है. पूरी दुआ किसी एक हदीस में नहीं आयी है. और उसको तरविहा(तरावीह की चार रकात) के बाद पढ़ना किसी भी हदीस से साबित होना बहोत मुश्किल है. यह दुआ अल्लामाह इब्ने आबेदीन अपनी किताब शामी में नक़ल की है जिसकी वजह से मुख्तलिफ किताबों और हमारे इलाक़ों में राइज हो गयी तरविहा में हनफ़िया के नज़दीक ३ इख़्तियार है उस वक़्त तस्बीह पढ़े, या हम्द करे, या खामोश रह कर अगली रकात का इन्तिज़ार करे. 📗 मूहिते बुरहानी २/१८१ 📕जवहरून नय्याराह सफा ३८५ 📘मर्गूबुल फतवा ३/४२९ में उलमा ऐ देवबंद का ये मौक़फ़ लिखा है के उस वक्त ज़िक्र करना मुस्तहब है लेकिन बहोत से इलाक़ों में इस में गुलु होने लगा है. मुस्तहब के साथ वाजि

तरावीह की रकात छूट जाना

⭕आज का सवाल नंबर १०२३⭕ एक आदमी मस्जिद में ऐसे वक़्त आया के ईशा की फ़र्ज़ नमाज़ और तरावीह की दो चार रकत हो चुकी थी तो छूती हुई तरावीह किस तरह पढ़े? और वित्र बाजमात पढ़े के छूती हुई तरावीह को पूरी करने के बाद पढ़े? 🔵 आज का जावाब🔵 حامدا و مصلیا و مسلما ऐसे शख्स को चाहिये के पहले फ़र्ज़ और सुन्नतें पढ़े, और उस के बाद तरावीह में शरीक हो, और छूती हुई तरावीह दो तरविहा (४ रकात के बाद थोड़ी देर बैठने का वक़्फ़ा) के दरम्यान पूरी करे, अगर मौक़ा ना मिले तो वित्तरों के बाद पढ़े, और वित्र और तरावीह की जमात छोड़कर तन्हा अलग ना पढ़े 📘मसाइले तरावीह रफत सफा ७७ बहवाला कबीरी ✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू 🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया

तरावीह की निय्यत और हुक्म

⭕आज का सवाल नंबर २०२२⭕ अ. तरावीह का क्या हुक्म है? पढ़ना ज़रूरी है ? मर्द औरत दोनों के लिए एक ही हुक्म है ? ब. तरावीह की निय्यत क्या करे? क. २० रकात की निय्यत साथ में कर सकते है? 🔵जवाब🔵 अ. तरावीह मर्दों और औरतों सब के लिए पूरा महीना सुन्नते मुअक्कदह है.मगर औरतों के लिए जमात सुन्नते मुअक्कदह नहीं है. 📘किफ़ायतुल मुफ़्ती ३/३६१ सुन्नते मुअक्कदह को बिला उज़्र छोड़ना मना है और छोड़ने की आदत बनाने वाला फ़ासिक़ और गुनेहगार है. ब. तरावीह की निय्यत का वही तरीका है जो दूसरी नमाज़ों का है. उस की निय्यत इस तरीका से है के, दो रकत सुन्नत तरावीह की निय्यत करता हूँ, दिल में सोचकर या कहकर, अल्लाहु अकबर कहकर नमाज़ बांध ले. 📘मज़ाहिरे हक़ जदीद १४ क. तरावीह के शुरू में २० रकात की निय्यत काफी है हर दो रकात पर निय्यत शर्त नहीं. 📘फतावा रहीमिययह १/३५४ 📘मसाइले तरावीह रफत ७०,७१ واللہ اعلم ✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू 🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात

तरावीह की निय्यत और हुक्म

⭕आज का सवाल नंबर २०२२⭕ अ. तरावीह का क्या हुक्म है? पढ़ना ज़रूरी है ? मर्द औरत दोनों के लिए एक ही हुक्म है ? ब. तरावीह की निय्यत क्या करे? क. २० रकात की निय्यत साथ में कर सकते है? 🔵जवाब🔵 अ. तरावीह मर्दों और औरतों सब के लिए पूरा महीना सुन्नते मुअक्कदह है.मगर औरतों के लिए जमात सुन्नते मुअक्कदह नहीं है. 📘किफ़ायतुल मुफ़्ती ३/३६१ सुन्नते मुअक्कदह को बिला उज़्र छोड़ना मना है और छोड़ने की आदत बनाने वाला फ़ासिक़ और गुनेहगार है. ब. तरावीह की निय्यत का वही तरीका है जो दूसरी नमाज़ों का है. उस की निय्यत इस तरीका से है के, दो रकत सुन्नत तरावीह की निय्यत करता हूँ, दिल में सोचकर या कहकर, अल्लाहु अकबर कहकर नमाज़ बांध ले. 📘मज़ाहिरे हक़ जदीद १४ क. तरावीह के शुरू में २० रकात की निय्यत काफी है हर दो रकात पर निय्यत शर्त नहीं. 📘फतावा रहीमिययह १/३५४ 📘मसाइले तरावीह रफत ७०,७१ واللہ اعلم ✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू 🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात

रोज़ह न तोड़ने वाली चीज़ें पार्ट १

⭕आज का सवाल नंबर.१०१९ ⭕ वह चीज़ें जिनसे रोज़ह नहीं टूटता और ना ही मकरूह होता है कोन कोन सी हैं? 🔴जवाब🔴 १- ताज़ह मिस्वाक करना २- सर या मूंछो पैर तेल (ओएल ) लगाना ३- इंजेक्शन या टीका लगवाना, ४- आँख में दवा डालना या सुरमा लगाना ५- खुशबु लगाना, ६- गर्मी और प्यास की वजह से ग़ुस्ल करना अगरचे पानी की ठंडक जिस्म के अंदर महसूस हो ७- भूल कर खा पी लेना या भूल कर सोहबत करना ८- हलक में बिला इख़्तियार धुंवा या मक्खी, मच्छर का चला जाना, ९ - खुद बा खुद कैई (वोमिटिंग) हो जाना चाहे कितनी ही हो १० - सोते हुए एहतलाम हो जाना ११.- दांतो में खून आये मगर हलक में न जाये १२.-डकार आना जिसकी वजह से खाने का मज़ा हलक में महसूस होना १३. फूल या अत्तार की खुशबु सूंघना १४.भीगा हुवा रुमाल सर पर लपेटना १५.बीमारी की वजह से ग्लूकोस, ब्लड चढ़ाना १६. ऑक्सीजन लेना १७.नाक-रींत ज़ोर से सिदकना-खींचना जिसकी वजह से हलक में चली जाये १८.राल टपकने को हो तो उसे मुह

सफर में रोज़े का हुक्म

⭕आज का सवाल नंबर. १०१८⭕ सफर की हालत में रोज़ा रखना अफ़ज़ल हे या न रखना अफ़ज़ल हे.? 🔵जवाब🔵 जो आदमी अपने घर से सवा सतत्तर (७७.२५ )किलो मीटर के सफर का इरादा करके निकले वह शरअन मुसाफिर हे और मुसाफिर को सफर की हालत में रोज़ा रखने और न रखने दोनों की इजाज़त हे. अगर रोज़ा रखने में तकलीफ और कमज़ोरी का अंदेशा हो या साथियों को तकलीफ और परेशानी होती हो तो रोज़ा ना रखना अफ़ज़ल हे. घर पहुंच कर क़ज़ा करले. और अगर कमजोरी और तकलीफ का दर ना हो तो रोज़ा रखना अफ़ज़ल हे. 📗फतावा रहीमिया जिल्द ४ सफा ५६. 📕फतावा दिनियय्या गुजराती واللہ اعلم ✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू 🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया

ज़कात की रकम से मकान या दवाई देना

⭕आज का सवाल नंबर. १०१७ ⭕ ज़कात की रक़म से मकान तामीर कर के गरीबों को देना हो या उस से दवाई दिला नी हो तो क्या सूरत है? 🔵 आज का जवाब 🔵 حامدا و مصلیا و مسلما तामीर करने वाले बिल्डर को ज़कात देने वाले वकील बना दे के हमारी तरफ से आप इन पैसों से मकान बना कर गरीबों को ज़कात में मकान दे दें या मेडिकल वाले को कहा जाये के आप ज़कात में हमारी तरफ से दवा दे दो तो ज़कात अदा हो जाएगी. 📗अहसनुल फतवा ४/२९१, ३०० से माखूज़ واللہ اعلم ✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू 🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया

बीमे की रक़म पर ज़कात

⭕आज का सवाल नंबर १०१२⭕ दुकान, कार और जीवन बिमा -लाइफ इन्शुरन्स में जमा की हुई रक़म की ज़कात निकलना ज़रूरी है ? 🔵 आज का जवाब 🔵 حامدا و مصلیا و مسلما दुकान, कारोबार और कार बिमा की रक़म वापस मिलना यक़ीनी और ज़रूरी नहीं इसलिए उसपर ज़कात वाजिब नहीं अल्बत्ताह जीवन बिमा में हर हाल में रक़म सूद के साथ वापस मिलती है इसलिए भरी हुई असल पूरी रक़म की मिलने के बाद गुज़रे हुवे तमाम सालों की ज़कात वाजिब होगी (हर साल उस की ज़कात पेशगी -एडवांस निकल सकते है) और जो रक़म ज़ाइद मिलेगी वह हराम और सूद है इसलिए उस पर ज़कात वाजिब नहीं. 📗किताबुल मसाइल २/२१७ واللہ اعلم ✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू 🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया

हज कमीटी में भरे हुवे पैसों पर ज़कात

⭕आज का सवाल नंबर १०११ ⭕ मेने हज कमीटी में २ लाख रूपये पुरे जुमदियुल उखरा में भर दिए थे और में हर साल २१ रमजान को ज़कात निकलता हूँ तो किया मुझे उन रुपयों पर भी ज़कात देनी पड़ेगी ? 🔵 आज का जवाब🔵 حامدا و مصلیا و مسلما आप ने हज कमीटी में पुरे रुपये भर दिए और हज की मंज़ूरी भी आ गई लिहाज़ उन रुपयों पर तो ज़कात नहीं निकालनी है अल्बत्ताह हवाई जहाज़ खर्च, मुअल्लिम फी और दूसरे खर्चों के बाद जितने पैसे सऊदी रियाल की शकल में वापस मिलेंगे उन की ज़कात निकालनी ज़रूरी होगी. 📗किताबुल मसाइल २/२१६

हर माल पर साल गुज़रना ज़रूरी नहीं

⭕आज का सवाल नंबर १००५⭕ क्या ज़कात वाजिब होने के लिए हर माल पर साल गुज़रना ज़रूरी है ? दरमियान में माल ज़कात के निसाब से घट गया और दरमियान में नया माल भी आता जाता रहा सब पर ज़कात है ? 🔴जवाब🔴 ज़कात के निसाब पर साल गुज़रना काफी है, हर हर माल पर साल गुज़रना ज़रूरी नहीं, साल पूरा होते ही मवजूदह सब माल, मिलकियत की ज़कात दे, चाहे बाज़ माल १ महीन या हफ्ते पहले ही आया हो तो उस की भी ज़कात दे. साल के शुरूआत में और साल के आखिर में ज़कात का निसाब यानि सारे बावन तोला चांदी की क़ीमत का मालिक होना काफी है, दरमियान में माल, निसाब की मिक़्दार से कम रहा तब भी पुरे निसाब की ज़कात वाजिब होगी. 📗किताबुल मसाइल जिल्द २ सफ़ा १३३ से माखूज़ 📘बाहवाला मराकियूल फलाह ३८९ 📕आलमगीरी १/१७५ واللہ اعلم ✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू 🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया

ज़कात कौन सी क़ीमत पर निकाले

⭕आज का सवाल नंबर १००४⭕ हर चीज़ की ज़कात कौन सी क़ीमत पर निकालनी है..? खरीद [बाइंग] क़ीमत पर या बिक्री [सेलिंग] बेचने की क़ीमत पर ? 🔴आज का जवाब🔴 हर चीज़ की ज़कात बिक्री क़ीमत [सेलिंग ] पर निकालनी है न के खरीद क़ीमत पर , चाहे क़ीमत ज़यादा हो गई हो या कम हो गई हो. कियूं के बेचते ही वह माल पैसे की शकल में बदल सकता है. 📗(फतावा उस्मानी जिल्द २ सफ़ा ५० बा हवाला 📘बुरहान शरहे मवाहिबूर रहमान १/५०७ 📕बड़ाईयूससनाया २/२२ 📔किताबुल मसाइल २/१५० واللہ اعلم ✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू 🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया

ज़कात किन चीज़ों में फ़र्ज़ और किन चीज़ों में नहीं ?

⭕आज का सवाल नंबर १००२⭕ ज़कात का निसाब बनाने में कौन कौन सी चीज़ों को गिना जायेगा और कौन कौन सी चीज़ों को नहीं गिना जायेगा ? यानि ज़कात किन चीज़ों पर फ़र्ज़ है और किन चीज़ों पर नहीं? 🔴जवाब🔴 सोना, चांदी, नक़द रूपया और बेचने की निय्यत से खरीदा हुवा कोई भी माल, मसलन प्लाट, ज़मीन, फ्लैट, मकान, शेयर, दुकान का हर वह माल जो साल भर रखने से ख़राब नहीं होता. किराये आमदनी, विरासत या हदिये में मिला हुवा रूपया इन तमाम चीज़ों की क़ीमत लगाई जाएगी. सोने चांदी के अलावह हर वह चीज़ जो इस्तेमाल की जाती है मसलन फ्रिज, वाशिंग मशीन, ओवन, हर क़िस्म की गाड़ी (कार, थ्री व्हील्स, साइकिल) मोबाइल, घर के बर्तन, शोकाश के बर्तन, घर का फर्नीचर, कपडे, इमीटेशन जवेलरी, हिफाज़त के लिए रखे गए हथ्यार, घर में रखा हुवा खाने पिने का ज़खीरा, इस्तिमाल के हिरे, मोती, पढ़ने की किताबें वगैरह और दुकान, कारखाने, फैक्ट्रीज की इस्तिमाल की मशीनरी वगैरह ज़रुरत की चीज़ें, किराये पर दी हुई कोई भी चीज़ मकान, दुकान, हर क़िस्म

दाढ़ी मुंदे की तरावीह

⭕आज का सवाल नंबर १००१⭕ एक शख्स दाढ़ी मूँदता है उस ने सच्चे दिल से तौबा कर ली है और आइन्दाह रखने का पक्का इरादा कर लिया है मगर अभी एक मुश्त दाढ़ी नहीं हुई है और उगाना या लम्बी करना उस के इख़्तियार में नहीं है तो किया ऐसे के पीछे फ़र्ज़ नमाज़ और तरावीह मकरूह होगी ? इसी तरह जो इमाम दाढ़ी मुंडाना या एक मुश्त से पहले कटाना नहीं छोड़ते ऐसे इमाम के पीछे फ़र्ज़ नमाज़ और तरावीह का क्या हुक्म है तफ़सीलन जवाब इनायत करे ? 🔴जवाब🔴 फकीहुल असर मुफ़्ती रशीद अहमद लुधयानी रहमतुल्लाहि अलैहि लिखते हैं तौबा के बावजूद ऐसे शख्स की इमामत दो वजह से मकरूह है. १. एक ये के उसपर अभी तक इस्लाह का असर ज़ाहिर नहीं हुवा है और ये फैसला नहीं किया जा सकता के आईन्दा इस कबीरा गुनाह से बचने का एहतमाम करेगा या नहीं ? २. दूसरी वजह ये है के जिन लोगों को तौबा का इल्म नहीं उन को ये गलत फहमी होगी और यही समझेंगे के फ़ासिक़ नमाज़ पढ़ा रहा है. (इस जहालत के दौर में दाढ़ी कटाने

मस्जिद में गैर मुस्लिम का लाना

⭕आज का सवाल नंबर 1⃣0⃣0⃣0⃣ ⭕ एक गैर मुस्लिम मस्जिद में आना चाहता है, तो उस को मस्जिद का दीदार करा सकते है या नहीं ? 🔵आज का जवाब🔵 حامدا و مصلیا و مسلما मस्जिद में गैर मुस्लिम के दाखिल होने की गुंजाईश है, बशर्ते के मस्जिद की तौहीन, *नुकसान*मक़सूद न हो, *मस्जिद में उन के जिस्म और कपड़ों पर कोई दिखाई देनेवाली नजासत न हो, उन के मुंह से शराब की बदबू न आती हो*. (१) हज़रत अबू हुरैरा رضی اللہ عنہ से मरवी हे : रसूल صل اللہ علیہ و سلم अपने दोस्तों के साथ मस्जिद ए नबवी में तशरीफ़ फ़रमा थे यहूदियों की एक जमात आई और उसने आप صل اللہ علیہ و سلم के सामने अपने क़बीले के ज़िना-बदकारी का मुक़द्दमा पेश किया और आप صل اللہ علیہ و سلم ने इसका फैसला फ़रमाया. (२) इसके अलावा गैर मुस्लिमो के जो वुफूद -जमातें खिदमते अक़दस में आया करते थे उन्हें मस्जिद में ठहराया जाता था. (३) बाज़ मुशरिक क़ैदियों को भी मस्जिद में रखा गया. इसलिए गैर मुस्लिम को मस्जिद दिखाई जा सकती है, मस्जिद द