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उलमा ए देवबंद पर बरेलवियों की तोहमतों के जवाबात

🔴आज का सवाल नंबर १०७५🔴 जैसा इल्म ए ग़ैब रसूलुल्लाह ﷺ को है ऐसा इल्म ए ग़ैब तो हर जानवर नीज़ बच्चे और पागल को भी हासिल है. इसमें सरकार ﷺ की क्या तखसीस है ? क्या यह बात हज़रात मौलाना अशरफ अली थानवीرحمت اللّٰہ علیہ की किताब हिफज़ुल ईमान में लिखी है ? 🔵अल-जवाबात🔵 यह इबारत सेम (जैसे बताई गयी वैसी) हिफ़्ज़ उल ईमान में नहीं है. हिफ़्ज़ उल ईमान की इबारत यह है. “फिर यह के आप ﷺ की ज़ात पर इल्म ए ग़ैब का हुक्म किया जाना अगर बा-क़ौल ए ज़ैल सहीह हो तो दरयाफ्त तलब अम्र (बात) यह है के इस इल्म ए ग़ैब से मुराद बा'ज इल्म ए ग़ैब है या कुल ग़ैब ? अगर बा'ज उलूम ए गैबियह मुराद है तो इसमें हुज़ूर ﷺ की क्या तखसीस है ? ऐसा इल्म ए ग़ैब तो ज़ैद बल्कि हर सभी (बच्चा) व मजनूँ बल्कि जामेअ (तमाम) हैवानात व बहाइम (चौपाये) के लिए भी हासिल है. 📗हिफ़्ज़ उल ईमान १८ स्कैन पेज खियानत : यहां पर अहले बातील ने यह अलफ़ाज़ *“जैसा इल्म ए ग़ैब हुज़ूर ﷺ को है“* अपनी तरफ से लिख कर मौलाना अशरफ अली थानवी رحمت اللّٰہ علیہ की इबारत के साथ जोड़ दिया है और *अपने मतलब के मुताबिक़ इबारत बनाली है और ऐतेराज़ कर दिया है.* मौलाना अशरफ अल

पहले हज करे या उमराह

*પહેલે હજ કરે યા ઉમરહ* *PEHLE HAJ KARE YA UMRAH* ⭕आज का सवाल नंबर.१०६४⭕ ताक़त के बा वजूद हज से पहले उमराह करना कैसा है ? 🔵JAWAB🔵 حامدا و مصلیا و مسلما उमराह हज का बदल नहीं हे, जिस शख्स पर हज फ़र्ज़ हो उसके लिए ज़रूरी हे के वो हज करे, जिस शख्स को हज के दिनों में बैतुल्लाह तक पहुँचने और हज तक वह रहने की ताक़त (खर्च, इंतिज़ाम, इजाज़त) हो उन पर हज फ़र्ज़ हो जाता हे, इसलिए ऐसे शख्स को जो सिर्फ एक बार बैतुल्लाह शरीफ पहुँचने की तमन्ना रखता हो, हज पर जाना चाहिए, उमराह के लिए सफर करना और फ़र्ज़ियत के बावजूद हज न करना बहुत गलत बात हे. 📚आपके मसाइल और उनका हल, जिल्द- ४, सफा नम्बर ३८ و الله اعلم بالصواب ✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू 🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया. *પહેલે હજ કરે યા ઉમરહ* ⭕ આજ કા સવાલ નં. ૧૦૬૪ ⭕ તાકત કે બાવજુદ હજ સે પહેલે ઉમરહ કરના કૈસા હૈ.? 🔵 જવાબ 🔵 حامدا و مصلیا و مسلما *ઉમરહ હજ કા બદલ નહિં હૈ, જીસ શખ્સ પર હજ ફર્ઝ હો ઉસકે લીયે ઝરૂરી હૈ કે વોહ હજ કરે.* જીસ શખ્સ કો હજ કે દિનો મેં બૈતુલ્લાહ તક પહુંચને ઔર હજ તક વ